वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण से रियल स्टेट के दिग्गजों ने मुलाकात की है. इस मुलाकात के दौरान नकदी की समस्या और रुकी परियोजनाओं को पूरा किया जाना प्रमुख एजेंडा रहा. रियल्टर्स ने इस दौरान देश के रियल एस्टेट मार्केट में मांग पैदा करने के उपायों पर चर्चा की और रुके प्रोजेक्ट्स के लिए एक स्ट्रेस फंड के इस्तेमाल पर भी चर्चा हुई.
रुके प्रोजेक्ट्स पर चर्चा
न्यूज एजेंसी आईएएनएस के मुताबिक, रियल एस्टेट डेवलपर्स ने रविवार को हुई इस मुलाकात में परियोजनाओं को पूरा करने के लिए एक स्ट्रेस फंड बनाने का सुझाव दिया. इसके पहले दिन में घर खरीदारों की वित्त मंत्री के साथ हुई बैठक में भी प्रस्ताव आए. नेशनल रियल एस्टेट डेवलपर काउंसिल (एनएआरईडीसीओ) के अध्यक्ष निरंजन हीरानंदानी ने बैठक के बाद पत्रकारों से कहा कि रुकी हुई परियोजनाओं को पूरा करने में स्ट्रेस फंड के इस्तेमाल के तरीकों पर चर्चा की गई.
हीरानंदानी ने कहा कि इस बैठक में यह बात रखी गई कि करों को तर्कसंगत बनाना और नकदी संकट का समाधान रियल एस्टेट और बुनियादी ढांचा को गति देने में मदद के लिए आवश्यक है और इसके परिणामस्वरूप जीडीपी दर और रोजगार सृजन के मामले में अर्थव्यवस्था पर सकारात्मक असर पड़ेगा.
रियल एस्टेट डेवलपर्स के संगठन क्रेडाई (CREDAI) के अध्यक्ष, जे. शाह ने कहा कि उनके संगठन ने सुझाव दिया है कि रुकी हुई परियोजनाओं को पूरा करने में सहायता देने के लिए वित्तीय संस्थानों को रियल एस्टेट रेगुलेटरी एक्ट (रेरा) के तहत लाया जाए.
शाह ने कहा कि वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण, वित्त राज्य मंत्री अनुराग ठाकुर और आवास एवं शहरी मामलों के मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने हमारी बातें ध्यान से सुनी और इस क्षेत्र को पुनर्जीवित करने के कदम भी सुझाए.
उन्होंने कहा, ‘रविवार सुबह इस बैठक को आयोजित किए जाने से ही इस मुद्दे की गंभीरता और आवश्यकता का संकेत मिलता है. सीआरईडीएआई की तरफ से हम आशा करते हैं कि हम घर खरीदारों को समय पर आपूर्ति के हित में तरलता संकट को सुलझाने की आवश्यकता को रेखांकित कर पाने में सफल हुए हैं. सीआरईडीएआई ने पुराने मुद्दों को सुलझाने में रेरा को उचित मान्यता देने के पक्ष में भी बात की.’
बैठक में देश में किराए के मकान को बढ़ावा देने के उपाय भी तलाशे गए. वित्त मंत्री के साथ घर खरीदारों की बैठक में उनके सामने मौजूद समस्याओं पर चर्चा की गई, जिसमें रुकी हुई परियोजनाओं को पूरा किया जाना शामिल था. घर खरीदारों के संघ, फोरम फॉर पीपल्स कलेक्टिव एफर्ट्स (एफपीसीई) ने सीतारमण को लिखे अपने पत्र में कहा है कि रुकी हुई परियोजनाओं को कम से कम 10,000 करोड़ रुपये के एक स्ट्रेस फंड से पूरा किया जा सकता है.
पत्र में कहा गया है, ‘उद्देश्य यह होना चाहिए कि अगले पांच सालों तक लगातार इस तरह का स्ट्रेस फंड मुहैया करा कर देश भर की रुकी हुई रियल एस्टेट परियोजनाओं को पांच साल की अवधि में पूरा किया जाए.’ इसके अलावा एफपीसीई और जेपी इंफ्राटेक के प्रतिनिधियों ने भी बैठक में हिस्सा लिया और अपने सुझाव पेश किए.